History of Changez khan: चंगेज खान आधी दुनिया पर राज करने वाला

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  चंगेज खान     चंगेज खान का निजी जीवन  1162 में चंगेज खान का जन्म हुआ था| उसका नाम तैमूजीन गया था| जब उसका जन्म हुआ था तब उसके दाहिने हाथ में खून का धब्बा था | मंगल के लोग उसे दिव्य संकेत मानते थे एक ऐसा बच्चा जो दुनिया में राज करेगा या तो उसको तबाह कर देगा| तेमुजीन के पिता आचुतेय थे वह वह मंगॉल के कबिलेके बहादुर सरदार थे | तैमूजीन 9 साल का था तब उसके पिताजी ताताड़ जनजाति ने जहर देकर मार डाला | पिता की मृत्यु के बाद उनके ही काबिले के लोगों ने तैमूजेन और उसके परिवार को बेसहारा छोड़ दिया | बर्फीले जंगलों में उसके परिवार को अकेला छोड़ दिया| तैमूजीन ने शिकार करना सिखाए इस तरह बचपन में अकेले रहने से उसके मन में ए बैठ गया कि जिनेके लिए किसी पर भरोसा नहीं करना | उसे अपनी ताकत पर ही भरोसा करना पड़ेगा|  समय जाते-जाते उसने छोटे-छोटे साथियों को फिर से जुड़ा | उसने देखा कि पुराने मंगोलियों की जाती आपस में ही लड़कर बर्बाद हो रही थी | तैमूजीन जनता था कि उसे कुछ बड़ा करना होगा इस बिखरी ताकत को एक करना होगा | लेकिन उन्हें खून के रिश्ते को नहीं वफादारी और काबिलियत के लोगों ...

Albert Einstein, दुनिया का सबसे जीनियस इंसान

अल्बर्ट आइंस्टीन 

 आइंस्टीन के निजी जीवन की कुछ बातें।


 अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 1879 में जर्मनी में यहूदी परिवार में हुआ था| आइंस्टीन के पिता का नाम हरमन आइंस्टीन था | उसकी मां का नाम पोली आइंस्टीन था | आइंस्टीन जब पैदा हुए तब वे सामान्य बच्चों से बिल्कुल अलग थे क्योंकि इनका सर  सामान्य बच्चों ज्यादा बड़ा था | जैसे-जैसे बड़े होने लगे उसका बोलने  में भी समस्या आती थी| वह 4 साल तक कुछ बोल नहीं पाए थे  | जब वह उसके मम्मी पापा के साथ खाना खा रहे थे तब उसने बोला कि सूप बहुत गर्म है| उसका यह पहला शब्द सुनकर मम्मी पापा बहुत खुश हुए| बचपन में आइंस्टीन को अपनी उम्र के बच्चों के साथ खेलना बिल्कुल पसंद नहीं था| उसकी एक अलग ही दुनिया थी उनके मन में हमेशा एक बात चलती रहती थी कि आखिर यह दुनिया कैसे चलती होगी|

 विज्ञान से लगाव

 आइंस्टीन जब 5 साल के थे उसको विज्ञान से लगाव हो गया था| आइंस्टीन को पढ़ाई बिल्कुल पसंद नहीं थी। क्योंकि उसमें किताबों का रिटन करवाया जाता था| जिससे पूरी बात पता नहीं चलती थी और उसे सवाल का जवाब लेने के लिए आइंस्टीन अध्यापकों से अलग-अलग प्रश्न पूछते थे | जिसका जवाब अध्यापकों को भी नहीं मालूम होता था | ऐसे अजीबोगरीब सवाल पूछ कर अध्यापकों ने उसे मंद साबित कर दिया | और उनको भी लगा कि मैं मंदबुद्धि का हु |

  आइंस्टीन  अध्यापक से पूछा करते थे मैं अपनी बुद्धि का विकास कैसे करूं… तभी अध्यापक ने कहा कि अभ्यास ही सफलता का मूल मंत्र है| फिर उसने दृढ़ निश्चय कर लिया कि वह एक दिन दुनिया में आगे बढ़कर दिखाएंगे | और ए साबित करने में आगे बढ़ाने की चाहत उन पर हावी रहती थी | आइंस्टीन को पढ़ने में मन नहीं लगता था फिर भी वह किताबें हाथ से नहीं छोड़ते थे और सही समय में उनके अभ्यास का सकारात्मक परिणाम सामने आने लगा| जिसे देखकर उन्हें अध्यापक भी दंग रह गई | आगे जाकर पढ़ने में उसने गणित विषय को सुना और उसकी आर्थिक स्थिति में इतनी नहीं अच्छी थी जिसके कारण वह आगे की पढ़ाई मे थोड़ी समस्या हुई | वे अपने कठिन परिश्रम और अभ्यास की मदद से गणित और भौतिक विज्ञान में महारत हासिल की |

 अल्बर्ट आइंस्टीन का IQ क्या था? 

अल्बर्ट आइंस्टीन का IQ 160 था ऐसा कुछ स्रोतों का कहना है। एक सामान्य और स्वच्छ इंसान का IQ लेवल 90 से 110 के बीच में होता है। इसीलिए अल्बर्ट आइंस्टीन को दुनिया का सबसे जीनियस व्यक्ति माना जाता है।

 अल्बर्ट आइंस्टीन की खोज।

 समय के साथ वह इतने बुद्धिमान हो गए की उन्होंने बहुत सारी अद्भुत खोज की आज उन्हें सापेक्ष सिद्धांत, द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण, E=mc² के लिए जाने जाते हैं


 आइंस्टीन को 20वीं सदी का सबसे प्रभावशाली भौतिक वैज्ञानिक माना जाता है 1999 में टाइम पत्रिका में उन्हें "शताब्दी का पुरुष" घोषित किया गया था।


 सापेक्षता का सिद्धांत, विशेष सापेक्षता, सामान्य सापेक्षता ओर प्रकाश विद्युत प्रभाव यह सारी खोज आइंस्टीन ने की थी।

 उन्हें सैद्धांतिक भौतिक प्रकाश विद्युत ऊर्जा की खोज के लिए 1921 में नोबेल पुरस्कार दिया गया है।

 आइंस्टीन को किस देश का राष्ट्रपति बनने का न्योता आया था?

 1952 अमेरिका ने आइंस्टीन को इसराइल का राष्ट्रपति बनने को कहा लेकिन आइंस्टीन ने इसका प्रस्ताव नहीं स्वीकारा | आइंस्टीन ने कहा कि मैं राजनीति के लिए नहीं बना आइंस्टीन ने साबित कर दिया कि एक मंदबुद्धि लड़का भी अपनी महेनत, लगन और परिश्रम के बल पर दुनिया में कुछ भी कर सकता है| आइंस्टीन इतना बुद्धिमान थे कि अपने मन में पूरी रिसर्च सोच कर पूरा प्लान कर लेते थे जो अपने लेब के प्रयोग से भी ज्यादा सक्सेसफुल रहता था |

 इसीलिए अल्बर्ट दुनिया के  सबसे जीनियस व्यक्ति कहलाते हैं।

 अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्मदिन 14 मार्च को दुनिया का जीनियस डे के रूप से मनाते हैं।

 अल्बर्ट आइंस्टीन अमेरिका  क्यों चले गए?

 अल्बर्ट आइंस्टीन निजी गतिविधियों के कारण आइंस्टीन को जर्मनी छोड़कर अमेरिका में शिफ्ट होना पड़ा | वहां उन्हें बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों ने अपने यहां आचार्य का पद लेने के लिए आमंत्रित किया| लेकिन आइंस्टीन ने प्रीस्टन विद्यालय को अपने शांत और बौद्धिक वातावरण के कारण चुन लिया| अल्बर्ट आइंस्टीन बहुत अलग-अलग तरह के प्रयोग करते थे उनके प्रयोग हमेशा एक दूसरे से अलग होते थे क्योंकि वह कहते थे की सबसे बड़ा पागलपन है एक ही चीज को बार-बार करना और हमेशा अलग-अलग परिणाम की आशा करना |

आइंस्टीन की यादशक्ति के बारे में।

 अल्बर्ट की याद शक्ति कुछ खास नहीं थी उन्हें तारीख और मोबाइल नंबर याद रखने में बहुत ही मुश्किल होती थी| एक बार उसके सहकर्मी ने उनसे उनका मोबाइल नंबर मांगा तो उसने उसके पास पड़ी टेलिफोनिक डायरी में से अपना नंबर ढूंढने लगे| तब सहकर्मी ने कहा कि आपको आपका नंबर भी याद नहीं है इआइंस्टीन ने बोला  मैं ऐसी चीज को क्यों याद रखो जो मुझे किताब में ढूंढने से आसानी से मिल जाए|

 अल्बर्ट आइंस्टीन व्यवहारिक बातों को भी भुला करते थे|

 एक बार प्रीस्टन से आते वक्त वह अपना घर का रास्ता भी भूल गए थे|

 एक बार प्रीस्टन से कहीं जाने के लिए ट्रेन से सफर कर रहे थे तब उसके पास टिकट चेकर आता है और आइंस्टीन टिकट खोजने लगते हैं पर टिकट नहीं मिलती है| टिकट चेकर  आइंस्टीन को पहचानते थे तो उसने कहा आप रहने दो आपने टिकट जरूर लिया होगा| ऐसा कहकर टिकिट चेकर दूसरे लोगों की टिकट चेक करने लगे| फिर भी आइंस्टीन अपनी टिकट खोज रहे थे | आप रहने दो आपकी टिकट की कोई जरूरत नहीं है| बाद में आइंस्टीन कहते हैं कि मुझे तो पता होना चाहिए  कि मैं कहां जा रहा हूं|

 आइंस्टीन की मृत्यु 18April 1955 में अमेरिका के new jersey मे हुई थी।


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