History of Changez khan: चंगेज खान आधी दुनिया पर राज करने वाला

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  चंगेज खान     चंगेज खान का निजी जीवन  1162 में चंगेज खान का जन्म हुआ था| उसका नाम तैमूजीन गया था| जब उसका जन्म हुआ था तब उसके दाहिने हाथ में खून का धब्बा था | मंगल के लोग उसे दिव्य संकेत मानते थे एक ऐसा बच्चा जो दुनिया में राज करेगा या तो उसको तबाह कर देगा| तेमुजीन के पिता आचुतेय थे वह वह मंगॉल के कबिलेके बहादुर सरदार थे | तैमूजीन 9 साल का था तब उसके पिताजी ताताड़ जनजाति ने जहर देकर मार डाला | पिता की मृत्यु के बाद उनके ही काबिले के लोगों ने तैमूजेन और उसके परिवार को बेसहारा छोड़ दिया | बर्फीले जंगलों में उसके परिवार को अकेला छोड़ दिया| तैमूजीन ने शिकार करना सिखाए इस तरह बचपन में अकेले रहने से उसके मन में ए बैठ गया कि जिनेके लिए किसी पर भरोसा नहीं करना | उसे अपनी ताकत पर ही भरोसा करना पड़ेगा|  समय जाते-जाते उसने छोटे-छोटे साथियों को फिर से जुड़ा | उसने देखा कि पुराने मंगोलियों की जाती आपस में ही लड़कर बर्बाद हो रही थी | तैमूजीन जनता था कि उसे कुछ बड़ा करना होगा इस बिखरी ताकत को एक करना होगा | लेकिन उन्हें खून के रिश्ते को नहीं वफादारी और काबिलियत के लोगों ...

Dinosaur...डायनासोर का अंत कैसे हुआ?



डायनासोर की दुनिया 

 एक समय में हमारी दुनिया में डायनासोर का राज था| इन विचित्र बर्थडे डायनासोर ने करीब 14 करोड़ सालों तक इस धरती पर राज किया | इस डायनासोर की कहानी हजार प्रजाति थी | इनमें से कुछ शाकाहारी थे कुछ मांसाहारी थे तो कुछ डायनासोर बड़े शांत स्वभाव के थे वहीं कुछ डायनासोर बहुत ही हिंसक और खतरनाक थे | उसे समय के सबसे सफल जीव थे|

 कौन सी घटना से डायनासोर का नामोनिशान  मिट गया|

 इसे जानने के लिए हमें करोड़ों साल पीछे जाना होगा| आज से 165 मिलियन साल पहले मौसम धरती पर मौसम सामान्य था | सूरज की रोशनी बिखरी हुई थी पेड़ों से ठंडी ठंडी हवा आ रही थी और चारों तरफ डायनासोर की चिल्लाने की आवाज आ रही थी| जब सारी डायनासोर प्रजाति बड़े आराम से धरती पर जीवन बिता रही थी| तभी 10 करोड़ साल पहले एक छोटा है एस्टेरॉइड का टुकड़ा जो अंतरिक्ष में से आ रहा था| 



वह पृथ्वी से 20 करोड़ मील दूर मंगल और बृहस्पति के बीच बने शुद्र ग्रह बेल्ट में घूम रहे एक बड़े स्टेरॉयड से टकराता है|



 इस टकराव से इस बड़े एस्टेरॉइड की दिशा बदल जाती है| 22000 मिलो  प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ने लगता है| जब एस्टेरॉयड पृथ्वी से 3 लाख 84000 किलोमीटर की दूरी पर था तब ऐ यह धरती पर रहती डायनासोर का अंत नहीं होता| ए पृथ्वी के उपग्रह शान से टकराता लेकिन एस्ट्रो इंसान से बहुत नजदीक से गुजर गया| ए एस टी रोहित पृथ्वी के वातावरण में आया तो उसकी रफ़्तार 17000 किलोमीटर प्रति घंटा हो गई|

उल्का का धरती पर गिरने से क्या हुआ?

 पृथ्वी में आते ही घर्षण के होने की वजह से एकाएक आग के गोले में बदल गया| ए इतनी रफ्तार से बढ़ रहा था कि उसने 4 मिनट में अटलांटिक महासागर को पार कर दिया| 



इसकी चमक इतनी थी कि यह धरती पर टकराने से पहले ही कहीं जीव इसकी चमक से अंधे हो गए थे | यह जीव उसे स्कूल का को देख नहीं पा रहे थे| लेकिन भयानक गर्मी को महसूस कर रहे थे| कुछ ही सैकड़ो के बाद यह उसका मेक्सिको की खाड़ी के पास जमीन से टकराती है| और लगभग 35000 डिग्री सेल्सियस ऊर्जा वाला एक भयंकर विस्फोट होता है| इस  टकराव का विस्फोट  10,000 हाइड्रोजन बम जितना विस्फोट  के बराबर था| एवरी स्पॉट इतना भयंकर था कि विस्फोट होते ही धरती के लाख मेटल धातु अंतरिक्ष में चली गई| 



टकराव वाली जगह पर 180 किलोमीटर का चौड़ा और 20 किलोमीटर गहरा खड्डा बन गया | विस्फोट के कारण इस गड्ढे के सारे मेटल और पत्थर आसमान में उड़ के बड़े बादल बन गए | इस विस्फोट के कारण धरती पर बहुत बड़ी भूकंप की तरंगें उठने लगी इस वजह से समुद्र में विनाश का लहर का निर्माण हुआ और एक के बाद एक सुनामी की लहरें आने लगी | भूकंप के कारण धरती की धरती के अंदर से लव उत्पन्न हुआ और और इससे का एक डायनासोर का विनाश होने लगा|



 इस विस्फोट इतना फैला कि इसे 800 किलोमीटर की आजू-बाजू के सभी जीव का विनाश होने लगा | इस विस्फोट से उड़ने वाले डायनासोर की जमीनी खतरों से बचने के लिए लेकिन विस्फोट की वजह से जो लाख कॉटन मेटल और पत्थर आकाश में उड़ गया था वह ग्रेविटी  कारण वापस धरती पर अंगारों में बरसने लगा |

 साथ ही धूल का एक बड़ा तूफान 6000 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से पृथ्वी पर दूसरी तरफ से मौत की लहर आ रही थी| धूल के बादल कहीं किलोमीटर मोटे थे जिसके कारण सूरज की रोशनी का धरती पर पहुंचना संभव हो गया था | और हवा का तापमान इतना बढ़ गया की धरती पर पौधों की सारी आबादी जलकर  खाक हो गई | विस्फोट के कुसी समय बाद धरती का तापमान 200 डिग्री से आगे बढ़ गया जिसके कारण जो डायनासोर विस्फोट की जगह से कोसों मील दूर थे वह भी इस गर्मी से बच नहीं पाए | इस महा विस्फोटक के कारण से धरती के 90% प्रजाति पूरी तरह से नष्ट हो गई थी | और जो बाकी के 10% प्रजाति है जो बची हुई थी उनमें से वही जीव बच पाए जिसका वजन 30 kg से कम था| इसका एक कारण था कि इस विस्फोट के कारण धरती के सारे पेड़ पौधे जलकर नष्ट हो गए थे जो जिसके चलते बड़े और विशाल कई जीव को पूरी तरह से खाना पीना नहीं मिल रहा था| जिसकी वजह से बड़े विशालकाय प्राणी नष्ट हो गई है |

 लेकिन ऐ अन्य जीव के लिए फायदेमंद था |धरती पर डायनासोर का अंत एक छोटी प्रजाति के लिए सुहाना अवसर था|

 यह सिर्फ वैज्ञानिकों का एक अनुमान है|

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