History of Changez khan: चंगेज खान आधी दुनिया पर राज करने वाला

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  चंगेज खान     चंगेज खान का निजी जीवन  1162 में चंगेज खान का जन्म हुआ था| उसका नाम तैमूजीन गया था| जब उसका जन्म हुआ था तब उसके दाहिने हाथ में खून का धब्बा था | मंगल के लोग उसे दिव्य संकेत मानते थे एक ऐसा बच्चा जो दुनिया में राज करेगा या तो उसको तबाह कर देगा| तेमुजीन के पिता आचुतेय थे वह वह मंगॉल के कबिलेके बहादुर सरदार थे | तैमूजीन 9 साल का था तब उसके पिताजी ताताड़ जनजाति ने जहर देकर मार डाला | पिता की मृत्यु के बाद उनके ही काबिले के लोगों ने तैमूजेन और उसके परिवार को बेसहारा छोड़ दिया | बर्फीले जंगलों में उसके परिवार को अकेला छोड़ दिया| तैमूजीन ने शिकार करना सिखाए इस तरह बचपन में अकेले रहने से उसके मन में ए बैठ गया कि जिनेके लिए किसी पर भरोसा नहीं करना | उसे अपनी ताकत पर ही भरोसा करना पड़ेगा|  समय जाते-जाते उसने छोटे-छोटे साथियों को फिर से जुड़ा | उसने देखा कि पुराने मंगोलियों की जाती आपस में ही लड़कर बर्बाद हो रही थी | तैमूजीन जनता था कि उसे कुछ बड़ा करना होगा इस बिखरी ताकत को एक करना होगा | लेकिन उन्हें खून के रिश्ते को नहीं वफादारी और काबिलियत के लोगों ...

Samrat Ashok:सम्राट अशोक : कलिंग का युद्ध |

 कलिंग का युद्ध |

 यह युद्ध मौर्य साम्राज्य के एक महान शासक अशोक और कलिंग के राजा के बीच हुआ था| 261 BCमें अशोक को गद्दी पर बैठे 8 साल ही हुए थे | उस समय अशोक ने पूरे भारत पर कब्जा कर लिया था शिवाय 1,2 राज्य के अलावा | कलिंग नंद वंश के शासन में मगध का ही एक हिस्सा था | इसके बारे में कहीं इतिहासकारों का यह मानना था की नंदो का पतन होने के बाद चंद्रगुप्त मौर्य और बिंदुसार के शासन में कलिंग राज्य  स्वतंत्र हो गया था | कलिंग का दमन करना अशोक के लिए व्यक्तिगत रूप से महत्वपूर्ण हो गया था|  के अशोक का जीवन बचपन से ही चुनौतीयों से भरा हुआ था | अशोक अपने पिता के खिलाफ जाकर पाटलिपुत्र की गदी पर बैठा था | अशोक के सम्राट बनने के बाद बात भी राज्य का बड़ा हिस्सा उसको और अनैतिक राजा मानता था इसलिए वह कलिंग को हराकर यह साबित करना चाहता था कि वह भी मौर्य साम्राज्य का हिस्सा बढ़ा सकता है और वह एक बेहतर राजा है वह साबित करना चाहता था | कुछ लोग अशोक के राज्य अभिषेक पर सवाल खड़े कर रहे थे इसीलिए कलिंग को जीतकर अशोक उसे गलत साबित करना चाहते थे|

अशोक का कलिंग से युद्ध करने का कारण|

(1) मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र कलिंग से बहुत ही नजदिक थी | इस बात को अशोक कभी भी साधारण तरीके से नहीं ले सकते | क्योंकि मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र के नजदीक किसी दुश्मन कहो ना बड़ा ही अशुभ माना जाता है | उसे समय कलिंग एक ऐसा  राज्य था जिसकी निष्ठा मौर्य साम्राज्य पर नहीं थी | इसलिए मौर्य साम्राज्य के निकट किसी दुश्मन का राज्य होना अशोक लिए काफी चिंता का विषय था|

(2) मौर्य साम्राज्य के अंतर्गत आने वाले प्रमुख बंदरगाह में से ताम्रलिप्त बंदरगाह का नाश कलिंग द्वारा किया जा सकता है| यह बंदरगाह मौर्य साम्राज्य के व्यापार के लिए बहुत जरूरी था|यह बंदरगाह कॉलिंग साम्राज्य से बहुत निकट था इसीलिए अशोक सम्राट को ऐसा लगा कि अगर कभी भी युद्ध हुआ तो कलिंग साम्राज्य सबसे पहले इसी ताम्रलिप्त बंदरगाह को निशाना बनाएंगे | जिसका सीधा असर मौर्य साम्राज्य के व्यापार और आर्थिक स्थिति पर असर पड़ सकता है |

कलिंग पर आक्रमण करने से पहले सम्राट अशोक ने कौन सी तैयारी की थी? 

कुछ इतिहासकारो से यह पता चलता है कि कलिंग पर युद्ध करने से पहले अशोक ने कुछ वर्ष पहले से ही अपने सैनिकों को मजबूत बनाने की तैयारी शुरू कर दी थी| कुछ इतिहासकारों से यह पता चलता है कि अशोक के पास 6 लाख सैनिक बल था | उसे समय अशोक के पास भारत की सबसे  विशाल सैना थी | अशोक ने पूरी तैयारी करने के बाद कलिंग पर आक्रमण करने के लिए निकल पड़े| 

अशोक की सेना और कलिंग की सेना के बीच युद्ध |

अशोक ने कलिंग पर आक्रमण करने के लिए वर्षा ऋतु का अंत का समय पसंद किया| पुरी सेना गंगा किनारे  से होकर ताम्रलिप्त बंदरगाह पहुंची और वहां से समुद्र तटीय रास्ते से कलिंग पहुंची | ऐसा कहा गया है कि कलिंग पहुंचने में सेना को 900 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ी थी| कलिंग पहुंचते ही सम्राट अशोक की सेना ने कलिंग की सेना पर आक्रमण किया | यह युद्ध इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध माना जाता है | कलिंग की सेना का नेतृत्व कौन कर रहा था वह आज तक किसी इतिहासकार को नहीं पता|

 इस युद्ध का परिणाम|

इस युद्ध में 1 लाख सैनिकों की जान चली गई थी और 1.5 लाख लोगों को बंदी बनाया गया था| इस युद्ध में सम्राट अशोक की जीत हुई और कलिंग की हार हुई|

 कलिंग के युद्ध में सम्राट अशोक चारों ओर सैनिकों की लासे   देखते है| और उसे लगता है कि इसका जिम्मेदार में ही हूं |

इतनी सारी लासे देखकर सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तन हो जाता है| इस युद्ध के बाद सम्राट अशोक ने कभी युद्ध नहीं किया और बौद्ध धर्म अपना लिया|

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