History of Changez khan: चंगेज खान आधी दुनिया पर राज करने वाला

अमूल की स्थापना
अमूल की स्थापना 1946 में आनंद में त्रिभुवनदास पटेल ने की थी| इस कंपनी की स्थापना किसान के शोषण से बचने के लिए की थी| आज के समय में बहुत सारी प्रोडक्ट अवेलेबल है और 50 से भी ज्यादा देशों में सप्लाई होती है|
अमूल का पूरा नाम
<< आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड>>
अमूल कंपनी बनाने की वजह क्या थी?
अमूल से पहले polson कंपनी थी | 1940 में भारत के घरों में polson कंपनी का बटर देखने को मिलता था | polson कंपनी तब इतनी फेमस थी कि लोगों रोटी पर लगाते वक्त मखन शब्द नहीं बोलते थे बोलते थे के अपनी रोटी में ज्यादा polson मत लगाना| polson कंपनी की शुरुआत pestonji एडुलजी ने 13 साल की उम्र में की थी अपनी छोटी सी दुकान में उन्होंने कॉफी ग्राइंडिंग का बिजनेस शुरू किया था| 1900 में ए कंपनी खड़ी की एडल्ट जी का निकनेम पोली (polly) था | उसे वक्त ब्रिटिश जमाना था तो उसका नाम polly से polson किया गया| लेकिन जो किसान दूध बेच रहे थे उसको कम दाम दिया जाता था| मार्केट में 5 रुपए पर लीटर चल रहा था तब किसानों को एक या दो रुपए पर लीटर दिया जाता था| इसलिए किसानों को बहुत नुकसान होता था| किसानों को फिक्स प्राइस पर दूध बेचना पड़ता था और यह प्राइस बहुत कम थी इसलिए किसानों ने आंदोलन किया और इस बिच आते हैं त्रिभुवनदास पटेल|
त्रिभुवनदास पटेल के कहने पर गुजरात के किसान सरदार वल्लभभाई पटेल से मिलने के लिए 1945 में गई | किसानों ने अपनी प्रॉब्लम के बारे में बताया और उनकी बात समझने के बाद सरदार पटेल ने किसानों से कहा कि आप सब एक हो जाओ, एक झूथ में रहो और उन्होंने किसानों को एक आईडिया दिया यहां पर एक फार्मर को ऑपरेटिव बनाए जा सकता है | वहां पर किसान अपना दूध खुद भेज सकते हैं लेकिन क्या इन किसानों से ब्रिटिश सरकार दूध खरीदेंगे फिर सरदार पटेल ने एक युक्ति निकाली और किसानों को कहा अपना दूध बेचना बंद कर दो| ऐसा करने से किसानों में थोड़ा नुकसान तो उठाना पड़ेगा| सरदार पटेल मोरारजी देसाई को कायरा जिला भेजो और कहां कायर जिला को मदद करो इस कोऑपरेटिव को बनाने में| और ऐसे स्थापना होती है कयरा डिस्टिक कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनाइटेड लिमिटेड इसको कहते खेड़ा जिला सहकारी दूध उत्पादक संघ मंडली किसान लोग कहते थे कि हमारा दूध डायरेक्ट ब्रिटिश सरकार खरीदे वरना किसान लोग आंदोलन पर उतरेंगे| लेकिन ब्रिटिश सरकार मना कर देती है इसी वजह से किसान लोग अपना दूध बेचना बंद कर देते हैं और नतीजा ए आता है की एक बूंद भी दूध नहीं पहुंच पाता मुंबई तक और 15 दिन के बाद मिल्क कमिश्नर थे वह जाते हैं कायर और किसान की बात से सहमत होते हैं
अमूल की स्थापना
1946 में ऐसा होने के बाद अमूल की स्थापना होती है | 1948 तक एक कोऑपरेटिव कमेटी ने मुंबई मिल्क स्कीम ने इस दूध को लेना भी शुरू कर दिया था| त्रिभुवनदास पटेल ने यह निर्णय लिया कि इस कोऑपरेटिव का फायदा हर किसान को मिले| इसी वजह से त्रिभुवनदास ने three tire structure बनाया
1. गांव में डेयरी कोऑपरेटिव बनाई गई वहां दूध को इकट्ठा किया जाता था और उसकी क्वालिटी चेक करी जाती थी
2 राइस किया जाता था और एक टैंक में ट्रांसपोर्ट के लिए बनाया जाता था
3 state federation for dairy marketing distribution है जो marketing and distribution का काम संभालती थी
1948 तक इसमें 432 किसान जुड़ गए थे| और हर दिन 5000 लीटर दूध की सप्लाई हो रही थी | अगले कुशी सालों में किसानों की संख्या और दूध का सप्लाई बढ़ गया था | हालत ऐसी हो रही थी कि मुंबई इस दूध को ले नहीं पा रही थी क्योंकि दूध इतना सारा सप्लाई होता था|
दूध ज्यादा सप्लाई होने से अमूल ने क्या किया?
दूध की सप्लाई ज्यादा होने से इस दूध का क्या करेंगे?
तभी इसका सॉल्यूशन लेकर आते हैं वर्गीस कुरियन | वर्गीज कुरियन को हम मिल्क मैन ऑफ इंडिया भी कहते हैं|
वर्गीस कुरियन एक टेक्निकल इंजीनियर की डिग्री प्राप्त की थी| वर्गिस कुरियन गवर्नमेंट की स्कॉलरशिप की वजह से फॉरेन पढ़ने के लिए गए थे | इसलिए गवर्नमेंट उसे आनंद डेरी में सरकारी नौकरी पर भेजा जाता है| वर्गिस कुरियन इस असाइनमेंट में ना खुश थे| पर तभी उसकी मुलाकात होती है त्रिभुवनदास पटेल से| त्रिभुवनदास पटेल ने किसानों की परेशानियों के बारे में कहा तो वह यहां पर रुकने का निर्णय लेते हैं | और इसके बारे में सोचते हुए कहते हैं कि इस परेशानियों से बाहर निकलना है तो हमें कुछ अलग करना होगा जिससे किसानों का फायदा और दूध की बर्बादी ना हो|
इसीलिए उसने एक्स्ट्रा दूध का बटर, कंडेंस्ड मिल्क और मिल्क पाउडर बनाने का फैसला लिया | इससे दूध को ज्यादा दिनों तक स्टोर नहीं करना पड़ता और मार्केटिंग वैल्यू भी बढ़ जाएगी | बटर बनाना आसान था पर मिल्क पाउडर बनाना थोड़ा कष्टदायक था| क्योंकि आमदौर पर यह गाय के दूध से बनता था| जबकि गुजरात के किसानों के पास ज्यादातर भैंस का दूध आता था और भैंस के दूध से पाउडर बनाने के उसके पास कोई तकनीक नहीं थी| लेकिन वर्गीज कुरियन ने हार नहीं मानी उसने उसके दोस्त हरिश्चंद्र मेघा को बुलाया जो एक डेरी टेक्नोलॉजी में मास्टर थे उन्होने 1955 में दुनिया का पहला बफैलो मिल्क पाउडर तैयार किया |
हरिश्चंद्र मेघा
भैंस के दूधसे पाउडर बनाने वाले
इस मिल्क पाउडर से बड़ी सफलता मिली क्योंकि यह दुनिया का पहला भैंस के दूध से बना पाउडर था फिर इसने डेरी इंडस्ट्री में भारत को एक नई पहचान दिलाई
13 अक्टूबर 1955 में इस कोऑपरेटिव सोसाइटी ने अपना पहला मिल्क प्लांट खोल जो की इंडिया में ही नहीं एशिया का सबसे बड़ा मिल्क पाउडर प्लांट था|
अमुल नाम कैसे पड़ा
इसकी हर दिन 1 लाख लीटर दूध प्रोसस करना था | इस दूध से अलग-अलग तरह के डेरी प्रोडक्ट बनाइ जाती थी|| लेकिन इसकी पहचान के लिए कोई नाम तो होना चाहिए | क्योंकि इतनी सारी प्रोडक्ट बनाते हैं तो इसका कोई नाम तो होना चाहिए|
इसी अमूल नाम सामने आता है अमूल नाम रखने के दो कारण थे|
1 अमूल शब्द को संस्कृत भाषा में अमूल्य कहा जाता है(अनमोल)
2 आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड short फॉर्म (अमूल) होता है
अमूल बटर को निष्फलता क्यों मिली?
लेकिन अमूल को मार्केट में चलना इतना आसान नहीं था| अमूल का बटर लॉन्च होते ही बहुत बड़ी निष्फलता मिली इसकी बड़ी वजह थी और polson company. polson का बटर पहले से ही मार्केट में था| polson कंपनी का बटर वासी क्रीम से बनाया जाता था जिसे बिना रेफ्रिजरेटर का एक हफ्ते के लिए बाहर रखा जाता था |इससे क्रीम मे खट्टा टेस्ट आता था और टेस्टी लगता था| इस बटर में इसके अलावा polson अपने मटर को सेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए ढेर सारा नमक डालता था जिससे बटर का स्वाद नमकीन हो जाता था| polson कंपनी का बटर गाय के दूध से बनाया जाता था जिससे बटर का कलर हल्का सा येलो दिखता था | लोगों को यह पीले और नमकीन बटर की आदत हो चुकी थी| अमूल का बटर ताजा फ्रेश क्रीम से बनाया जाता था जिससे इसमें टेस्ट में कोई खटास नहीं थी और उसका स्वाद भी बिना नमक वाला था | और इसीलिए polson का यह टेस्टी बटर के सामने अमूल का व्हाइट बटर फ्रेश क्रीम से बना,बिना नमक का बटर किसी को पसंद नहीं आया|
अमूल् ने मार्केट में चलने के लिए क्या किया?
अमूल का बटर मार्केट में नहीं चला इसके सॉल्यूशन के लिए कंपनी ने बटर में थोड़ा नमक डालना शुरू किया और साथ में हल्का सा येलो रंग भी डाला जिससे बटर का रंग हल्का सा हेलो दिखने लगा | वर्गीस कुरियन को यह बदलाव बिल्कुल पसंद नहीं आया लेकिन कस्टमर की डिमांड यह थी तो इसके साथ चलना पड़ा| इस बदलाव से अमूल बटर की डिमांड बढ़ने लगी लोगों को पसंद आने लगा| 1973 में गुजरात में कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड की स्थापना की| इस फेडरेशन में सभी जिलों को यूनियन में एक साथ जोड़कर अमूल के ब्रांड नेम में काम करने का मौका दिया| आखिर polson कंपनी इंडियन मार्केट में बटर किंग था वह धीरे-धीरे कमजोर होने लगा| इसी दौरान वर्गीस कुरियन ने इंडिया मे operation flood शुरुआत की |जिसे white revolution से भी जाना जाता है|
यह दुनिया का बड़ा देरी डेवलपमेंट प्रोग्राम था | इससे गांव के दूध को इकट्ठा करके देश के अलग-अलग देश में सप्लाई किया जाने लगा | और ए बिजनेस इतना सफल रहा की इंडिया दुनिया दुनिया का सबसे बड़ा मिल्क प्रोड्यूसर बन गया| इसी तरह अमूल् किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया| और कस्टमर को भी अच्छे-अच्छे प डेरी प्रोडक्ट पहुंचाई | 1980 में चीज और आइसक्रीम की भी शुरुआत कर दी थी अमूल ने | आखिर अमूल की मेहनत का यह नतीजा आया कि 2010-11 की वर्ष में 2 बिलीयन डॉलर सेल्स टर्नओवर किया था |
आज के समय में अमूल
आज अमूल के पास 36 लाख से भी ज्यादा किसानों से डायरेक्ट कनेक्शन है| और भारत के अलावा 50 से भी ज्यादा देशों में अपनी डेरी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट करता है |
अमूल सिर्फ एक देरी ब्रांड नहीं है बल्कि उन लाखों किसानों की मेहनत और संघर्ष की कहानी है जो अपने और परिवार के भविष्य के लिए हर दिन मेहनत करता है|
So nice 🥳🥳🥳🥳👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंVery nice Information
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